चार मास्टर्स और PhD के बाद कोई भी इंसान खुद को किसी व्हाइट कलर जॉब में देखना चाहेगा, लेकिन उस जॉब में जब परिवार का खर्चा निकालना मुश्किल हो जाए तो फिर इंसान कुछ भी करने का तैयार हो जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ है पंजाब के डॉ. संदीप सिंह के साथ। वह चार MA और PhD करने के बाद भी गलियों में रेहड़ी पर सब्जी बेच रहा है।
वे कहते हैं कि 'उन्हें शर्म नही आ रही, क्योंकि उनके गुरु ने किरत करने का संदेश दिया था, बस अफसोस हो रहा है कि यूनिवर्सिटी ने उनकी वैल्यू नहीं की'।
पंजाब में अमृतसर की गलियों में आपको अक्सर एक रेहड़ी वाला दिख जायेगा, जिसकी रेहड़ी पर बोर्ड लगा है और उस पर लिखा है, पीएचडी सब्जी वाला। यह रेहड़ी वाला डॉक्टर संदीप सिंह पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला का प्रोफेसर है और वह एडहॉक पर है। फिलहाल छुट्टी पर हैं और घर खर्च के लिए रेहड़ी पर सब्जी बेच रहे हैं।
चार MA, llm और PhD होल्डर
प्रोफेसर संदीप सिंह ने बताया कि उन्होंने 2004 में ग्रेजुएशन कम्प्लीट की, 2007 में LLB की। 2009 में IIM की, 2011 MA पंजाबी की, उसके बाद पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला से 2017 में PhD कम्प्लीट की। 2018 में एमए जर्नलिज्म की, फिर एमए विमेन स्टडीज की, फिर MA पॉलिटिकल सांइंस की। फिलहाल लवली यूनिवर्सिटी से बीलिप कर रहे हैं।
पंजाबी यूनिवर्सिटी में रहे 11 साल टीचर
डॉ. संदीप ने बताया की वो 11 साल से पंजाबी यूनिवर्सिटी में लेक्चरर हैं और फिलहाल छुट्टी पर हैं। वहां लॉ की पढ़ाई करवाते हुए जब एक छात्र ने उन पर ही सवाल उठाया तो उन्हें समझ आया कि जिस बराबरी के आर्टिकल 21 को वो सिखा रहे हैं, वो उस पर खुद ही नहीं फिट बैठते।
उन्होंने बताया कि उन्हें लेक्चरर शिप के दौरान 35000 सैलरी मिलती थी, लेकिन पूरा साल नहीं मिलती। फिर कभी मिलती, कभी नही । ऐसे में जब वो खुद शोषण के शिकार हैं तो बच्चों को क्या जवाब दें। बच्चे भी जानते हैं कि उन्हें उनकी मेहनत के हिसाब से मेहनताना नहीं मिलता।
सिफारिशी से रहे परेशान
प्रो..संदीप ने बताया कि उन्हें किसी से शिकायत नहीं है, लेकिन अफसोस है जितना पढ़े लिखे है, यूनिवर्सिटी ने उतनी वैल्यू नही डाली। उन्होंने बताया कि जब भी पूछा जाता कि उनका कुछ करो, उन्हें परमानेंट करें तो आगे से जवाब आता है प्रेशर है।
डॉ. संदीप के मुताबिक यूनिवर्सिटी में अधिकारी पॉलिटिकल प्रेशर का बहाना बनाते है। उन्होंने कहा कि अगर पॉलिटिकल प्रेशर है और सिर्फ सिफारिश वाले ही रखें जाने हैं, तो फिर उनका समय और पैसा क्यों बर्बाद किया जाता है। उन्हीं के डिपार्टमेंट के हेड सिर्फ टीए डीए के लिए फॉर्म भरवाते हैं। डॉक्टर संदीप ने बताया कि उन्होंने यही सवाल इंटरव्यू एक्सपर्ट से भी पूछा था।
जुलाई महीने से बेच रहे सब्जी
संदीप ने बताया कि वो जुलाई महीने से सब्जी बेच रहे हैं पहले उन्होंने कोई बोर्ड नही लगाया था लेकिन एक महिला ने जब उन्हें कहा की उन्हें अपनी क्लासिफ़िकेशन रिप्रजेंट करनी चाहिए तो उन्होंने बोर्ड लगाया।
सर्वाइवल के लिए लगाई रेहड़ी
डॉ.संदीप ने बताया कि उन्होंने खुद के लिए नहीं बल्कि अपने परिवार के लिए रेहड़ी लगाई। उनका गुजारा बेहद मुश्किल था इसीलिए मजबूरी में प्रोफेसरी छोड़ कर सब्जी बेचने का काम करना पड़ा। उन्हें यह कहने में भी शर्म नही है कि वो यूनिवर्सिटी से ज्यादा कमा रहे हैं और पूरा साल यह कमाई चलेगी। उनके परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा, मां, भाई और बहन हैं।
खुद का खोलेंगे कोचिंग सेंटर
संदीप के मुताबिक वो अब खुद का कोचिंग सेंटर खोलना चाहते हैं, क्योंकि पढ़ाना उनकी रूह की खुराक है, जिसे वो नही छोड़ सकते। अभी हालत खराब हैं, लेकिन जब ठीक होंगे तो वो छात्रों को सही राह दिखाना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि वो सरकार से या किसी से कोई शिकायत नहीं करना चाहते, क्योंकि वो अगर यूनिवर्सिटी में नहीं हैं तो क्या हुआ वो खुद यूनिवर्सिटी खोलेंगे।
उन्होंने कहा कि अब बात उनकी सेल्फ रिस्पेक्ट पर आ रही थी, इसीलिए उन्होंने इस काम को अपनाने का फैसला किया। इसमें उन्हें इज्जत और पैसा दोनों मिल रहा है। यूनिवर्सिटी में पैसों के लिए हमेशा परेशानी रहती थी और साल में सिर्फ 7 महीने ही सेलरी मिलती थी।
स्टूडेंट ने की फोटो वायरल
डॉ. संदीप की वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। लोग उनसे हमदर्दी दिखा रहे हैं। उनकी एक छात्रा, जिसने वीडियो और फोटो को शेयर किया, ने लिखा था कि वो उनसे पढ़ चुकी हैं और उन्हें उनके प्रोफेसर के लिए बेहद अफसोस हो रहा है।
डॉ. संदीप ने कहा कि वो अपने छात्रों को समझाते हैं कि उनके हालात देखकर पढ़ाई से मुख न मोड़ लें, क्योंकि हो सकता है वो आज जहां जो वहां कल न हों। पढ़ना हमेशा काम आता है, बस मेहनत का साथ दें।
फोटो वायरल होने के बाद से उन्हें सैंकड़ों फोन आ रहे हैं, जो कि उनके बारे में जानना चाहते है, लेकिन वो कहना चाहते हैं कि वो ठीक हैं और अपने गुरु का आदेश समझ मेहनत कर रहे हैं।