Pocso आरोपी को पेशकार ने फर्जी बेल ऑर्डर पर जेल से रिहा करा लिया, जानिए कैसे खुला कानपुर का ये पूरा मामला
Updated on
22-08-2023 12:24 PM
कानपुर: उत्तर प्रदेश के कानपुर में फर्जी बेल पर रेप आरोपी की रिहाई का मामला सामने आया है। रेप के एक आरोपी को दो माह पहले गिरफ्तार किया गया था। यह बड़ा मामला सामने आया है। आरोन की रिहाई के लिए फर्जी जमानत आदेश जारी कर दिया गया। घटना तब सामने आई, जब आरोपी जमानत पर छूटने के बाद शिकायतकर्ता के घर जाकर उन्हें धमकी देने लगा। उसने पुलिस को इसकी सूचना दी। पुलिस यह जानकर हैरान रह गई कि आरोपी की रिहाई कैसे हो गई? पुलिस को जानकारी दिए बिना उसे जमानत पर रिहा कैसे कर दिया गया? इस मामले में अब कोर्ट के पेशकार, वकील और आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी कर रही है।
कानपुर में फर्जी बेल पेपर पर रिहाई का मामला सामने आने के बाद प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी ने कहा कि तीनों आरोपियों पर आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। जेसीपी ने कहा कि उन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा। फरार तीनों को गिरफ्तार करने के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई हैं। चौंका देने वाले फर्जीवाड़े की जानकारी देते हुए पुलिस ने कहा कि नरेंद्र सचान नाम के व्यक्ति को 8 जून को जिले के गुजैनी इलाके के पिपौरी में अपने पड़ोस में 13 वर्षीय लड़की के साथ रेप करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
जारी करवा दिया रिहाई आदेश
नरेंद्र ने अपर जिला जज की विशेष पॉक्सो अदालत में जमानत अर्जी दाखिल की थी। जमानत अर्जी को अदालत ने खारिज कर दिया। कोर्ट का आदेश भी ऑनलाइन अपलोड कर दिया गया। जांच के दौरान पता चला कि एक स्थानीय वकील, जिसकी पहचान अभी तक उजागर नहीं हो पाई है, उसने कोर्ट के क्लर्क अश्वनी के साथ मिलकर धोखाधड़ी से जमानत आदेश की अस्वीकृति को जमानत की स्वीकृति के आदेश में बदल दिया। फर्जी जमानत आदेश के आधार पर कानपुर जिला जेल में परवाना (रिहाई आदेश) भेज दिया गया।
फर्जी आदेश पर रिहाई
पीड़िता के वकील नरेश मिश्रा ने कहा कि रेप के आरोपी को फर्जी जमानत और रिहाई आदेश के आधार पर जेल से रिहा कर दिया गया। उन्होंने कहा कि फर्जी जमानत पर रिहा होने के बाद आरोपी सीधे मेरे मुवक्किल के घर गया और परिवार को धमकी दी। 10 अगस्त को जिला जज से इस संबंध में शिकायत की गई। जिला जज ने मामले की जांच के लिए अधिकारी की नियुक्ति की। मामला सामने आने के बाद एफआईआर दर्ज कराई गई। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए टीमें गठित कर दी हैं।
कोतवाली निरीक्षक चंद्रकांत मिश्रा ने इस मामले में बताया कि फर्जी बेल पर रिहाई मामले की जांच चल रही है। कोर्ट के आदेश, रिहाई आदेश की तारीखों का पता लगाने और धोखाधड़ी में शामिल वकील की पहचान स्थापित करने की कोशिश की जा रही है।
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