उदयपुर में नौवां CPA, बिरला-गहलोत सहित बड़े नेता शामिल, सदन में व्यवधान पर जानिए क्या बोले लोकसभा अध्यक्ष
Updated on
22-08-2023 12:21 PM
उदयपुर : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधानमंडलों में चर्चा के गिरते स्तर पर सोमवार को चिंता व्यक्त की और कहा कि ऐसे चलन पर तभी लगाम लगायी जा सकेगी, जब मतदाता निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से सदन में उनके आचरण का हिसाब मांगेंगे। बिरला ने यह भी कहा कि जनप्रतिनिधियों को अनुकरणीय आचरण और शिष्टाचार बनाए रखना चाहिए, ताकि सदन की प्रतिष्ठा और गरिमा बढ़े। उन्होंने नौंवे राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) के हिन्द क्षेत्र सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए संसदीय प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण की पुरजोर वकालत की और कहा कि नवीन तकनीकों के उचित उपयोग से विधायी निकायों के कामकाज में पारदर्शिता और दक्षता लाने में बहुत मदद मिलेगी।
इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सहित कई लोगों ने हिस्सा लिया।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘विधानमंडलों में व्यवधान, नारेबाजी और असंसदीय आचरण पर तभी रोक लगायी जा सकेगी, जब मतदाता निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के आचारण पर सवाल करना शुरू करेंगे'। बिरला ने कहा कि संसद या राज्य विधानसभा और विधान परिषद सहित विधानमंडल देश के 140 करोड़ भारतीयों की आशाओं, सपनों और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए जनप्रतिनिधियों की यह जिम्मेदारी है कि वे विधायिका में लोगों के विश्वास को बनाए रखें।
उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करना जनप्रतिनिधियों का कर्तव्य है कि विधानमंडल लोगों के सामाजिक-आर्थिक कल्याण के लिए काम करे। उन्होंने यह भी कहा कि विधायकों को लोकतंत्र को मजबूत करने और संसदीय परंपराओं को समृद्ध करने के प्रयास करने चाहिए।
लोकसभा सचिवालय के बयान के अनुसार, बिरला ने कहा कि जनता की विधायकों से यह आशा होती है कि वे जनकल्याणकारी नीतियों को तैयार करने में कार्यपालिका का मार्गदर्शन करते हुए उनकी समस्याओं के समाधान और उनके कल्याण के लिए विधानमंडलों में सार्थक चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा, यह तभी हो सकता है जब जनप्रतिनिधि उच्च मानकों के अनुसार आचरण और कार्य करें और सदन एवं सार्वजनिक जीवन में अनुशासन और मर्यादा का पालन करें।
लोकसभा अध्यक्ष ने पीठासीन अधिकारियों की निष्पक्षता और तटस्थता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि पीठासीन अधिकारियों की यह विशेष जिम्मेदारी है कि वे अपने पद की गरिमा के अनुसार आचरण करें और सुनिश्चित करें कि सदन का संचालन निष्पक्ष रूप से हो।
बिरला ने कहा कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमता के इस युग में, रोबोटिक्स, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन जैसी नवीन तकनीकों के उचित उपयोग से विधायी निकायों के कामकाज में पारदर्शिता और दक्षता लाने में बहुत मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग से शासन में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ेगी और यह सुनिश्चित होगा कि विधानमंडल लोगों की सामाजिक-आर्थिक बेहतरी में योगदान करते हुए अधिक प्रभावी ढंग से और कुशलता से कार्य करें। लोकसभा अध्यक्ष ने राज्य विधानमंडलों से आगे बढ़कर कार्य में एकरूपता लाने के लिए 'एक राष्ट्र, एक विधायी मंच' को लागू करने का भी आग्रह किया।
चुनाव आयोग ने 6 फरवरी को अजित गुट को असली नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) बताया था, जिसके खिलाफ पार्टी के संस्थापक शरद पवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।…
भारतीय नौसेना आज से विशाखापत्तनम में सबसे बड़े सैन्य अभ्यास मिलन-24 की शुरुआत कर रही है। इसमें 51 देशों की नौसेनाएं शामिल हो रही है। जिनके 35 प्रमुख वॉरशिप और…
पश्चिम बंगाल के संदेशखाली यौन उत्पीड़न केस में ममता बनर्जी सरकार को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पार्लियामेंट एथिक्स कमेटी के नोटिस पर रोक लगा दी।…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (19 फरवरी) संभल के दौरे पर हैं। यहां उन्होंने कल्किधाम मंदिर का शिलान्यास किया। कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ और कल्किधाम ट्रस्ट के अध्यक्ष भी मौजूद…
17 फरवरी रात 2:35 बजे आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज ने डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ क्षेत्र में महासमाधि में प्रवेश करने से पहले सिर्फ ‘ॐ’ शब्द कहा। सिर हल्का सा झुका और…
उत्तर प्रदेश। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं। पीएम मोदी संभल पहुंचे और कल्कि धाम का शिलान्यास किया। पूर्व में कांग्रेस नेता रहे आचार्य प्रमोद कृष्णम् के…