भारत में चीन और पाकिस्तान से 15 गुना महंगी है यह दवा, जानिए कौन कंपनी बेच रही
Updated on
17-08-2023 02:20 PM
नई दिल्ली: दुनिया की जानी-मानी फार्मा कंपनी रॉश (Roche) भारत में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) की दवा काफी महंगी कीमत पर बेच रही है। चीन और पाकिस्तान के मुकाबले भारत में कंपनी की दवा 15 गुना तक महंगी हैं। भारत में कंपनी की दवा की एक शीशी की कीमत 6.2 लाख रुपये है जबकि यही दवा चीन में 44,692 रुपये और पाकिस्तान में 41,002 रुपये की मिल रही है। एसएमए एक घातक, न्यूरोमस्कुलर और प्रोग्रेसिव आनुवंशिक बीमारी है। यह खासतौर से ब्रेन की नर्व सेल्स और रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचाती है। इसमें मरीज को नियमित रूप से दवा लेने की जरूरत होती है। 20 किलो से ज्यादा वजन वाले मरीज को साल में 36 बोतल दवा की जरूरत होती है। स्विस कंपनी रॉश ने दो साल पहले भारत में यह दवा लॉन्च की थी लेकिन पहली बार कीमत में भारी अंतर की बात सामने आई है। एक कोर्ट हियरिंग में इसका खुलासा हुआ है।
दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहे एक मामले में सीनियर काउंसल आनंद ग्रोवर ने कहा कि चीन और पाकिस्तान में एसएमए की कीमत भारत के मुकाबले दस फीसदी से भी कम है। टीओआई के सवालों के जवाब में रॉश इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि हम Evrysdi का स्थाई, व्यापक और तेज एक्सेस चाहते हैं। हम टेलर्ड प्राइसिंग सॉल्यूशंस के लिए मिलकर काम करना चाहते हैं। जल्दी से जल्दी इसे लागू करने के लिए हम लोकल अथॉरिटीज के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। दुनिया के दूसरे देशों में हमने ऐसा किया है। हमें उम्मीद है कि इससे भारत में भी मरीजों को सस्ती कीमत पर दवा उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
किसे मिलती है मुफ्त दवा
एफएसएमए इंडिया चैरिटेबल ट्रस्ट ने एसएमए बीमारी से जूझ रहे बच्चों को सस्ती कीमत पर दवा उपलब्ध कराने के लिए यह याचिका दायर की है। यह ट्रस्ट एसएमए बीमारी से जूझ रहे लोगों के परिजनों ने बनाया है। जुलाई में उसने इस मामले की तेज सुनवाई का अनुरोध किया था। देश में इस बीमारी की दवा बहुत महंगी है और आम आदमी के बूते से बाहर है। मरीजों के ग्रुप ने 2017 में पहली बार सरकार के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद सितंबर 2019 में क्योर एसएमए फाउंडेशन ने इस मामले की सुनवाई में तेजी लाने के लिए एक हस्तक्षेप याचिका दायर की थी।
एसएमए फाउंडेशन में 1000 से अधिक मरीज रजिस्टर्ड हैं। इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स का कहना है कि देश में कई मामले ऐसे हैं जिनकी बीमारी का पता नहीं चल पाया है। ह्यूमैनिटेरियन एक्सेस/कंपेशनेट यूज प्रोग्राम के तहत केवल 300 मरीजों को ही मुफ्त दवा दी जा सकती है। दुनिया में एसएमए के इलाज के लिए केवल तीन दवाओं को मंजूरी मिली है। इन्हें बनाने वाली कंपनियां बायोजेन, नोवार्तिस और रॉश है। रॉश ने 2021 में भारत में Evrysdi लॉन्च की थी।
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